याद
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याद

सर्द सी वो रैना, और उस रैना में तुम अग्नि उत्सव में हाथ ताप रहे थे। एकटक निहारती ही रही तुम्हे, चेहरे पर तुम्हरे अग्नि के बढ़ते हुए रंग जैसे सुनहरी सी मखमली छाप छोड़े जा रहे थे, तुम्हारा आकर्षक सा चेहरा और सुभग हो चला था।