ख़्वाहिशें
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ख़्वाहिशें

छुपाओ जब कोई सच मुझसे, दिल में दर्द हो तुम्हारे, मेरे निस्वार्थ प्रेम का ये सिला दिया तुमने। जब भी गुज़रे तुम्हारी रातें किसी और की बाहों में, रूह बिखर जाये और मेरे पास आने को कसमसाए, ऐसे जोड़ा था नाता तुमसे।

सनम
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सनम

नींद खुली और तुम मेरी बांहों में थी, निर्वस्त्र। तुम्हारे चेहरे पर आती ज़ुल्फ़ों की महक साँसों में घुलने लगी, तुम्हारे करीब आकर जुल्फें हटाकर तुम्हारा कमनीय चेहरा देखा, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। रेशम से बाल मेरी उँगलियों में से फिसल गए। तुम्हे अपनी ओर खींचा और तुम्हारे रुखसारों पर अपने होंठ रख दिए, चूमता ही रहा तुम्हे धीमे से।