सिफारिश

कहानी का पहला पहलू पढ़ने के लिए पढ़ें अंतर्द्वंद ।

प्रियंका ने ऑंसू पोंछे, एक आखिरी उम्मीद की किरण भी बुझ चुकी थी ।अतुल ने फ़ोन नहीं उठाया ।उसने संयत रहने का प्रयास करते हुए, खुद को संभाला और जमीन से सरकते हुए दीवार की ओर बढ़ी । आँसू फिर से छलक आए । माथा दीवार की ओर टिका, वह व्याकुल होकर सिसकती रही ।

अतुल के साथ बिताया एक एक लम्हा तराशा हुआ पलकों से अनावरत झरने लगा । सब टूट कर बिखर गया, आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया । हर एक साँस बिलख रही थी । जीवन का हर एक गुज़रता हुआ क्षण बोझिल सा प्रतीत होता था ।

एकटक अतुल की तस्वीर निहारते हुए कब उसकी आँखों से आँसू भी खत्म हो गये । एक गहरा सन्नाटा पसर गया । ख़ामोशी और दर्द की सिहरन हवा में घुलने लगी । पूरी रात व्यथा में गुज़र गयी । कब यादों से भरी आँखें बंद हो गयी पता ही न चला । ग़मगीन और असहाय ।

अगली सुबह की प्रभा नया सवेरा लेके आयी। प्रियंका के जीवन में उदासी रूपी कोहरा अब छंट चुका था । बीती रात अतुल और वागीशा की सगाई की खबर सुनकर वह चूर चूर हो गयी थी ।

पिछले कुछ समय से अतुल का नया बदला रूप रंग देखकर, उसकी आत्मीयता से अनजान अलग ही देश में रैन बसेरा कर लेने से प्रियंका बेहद परेशान थी । अतुल का बैरी व्यव्हार उसकी समझ से बाहर था । खुद को जिम्मेवार मानके वह उसे मनाती रही, उससे अथाह प्रेम करती रही , इसी विडंबना में की गलती मेरी है, अतुल ने मुझे खुद से ज्यादा चाहा , मैंने ही कभी उसे वो अहमियत नहीं दी जिसका वह हक़दार था ।

क्या जानती थी वो भी की उन दोनों की आखिरी मुलाक़ात अंतिम मुलाक़ात बन जाएगी । जीवन भर के प्यार की कसमें झूठी सिद्ध हो जाएँगी । उम्र भर साथ निभाने का वादा अधूरा रह जाएगा । हर एक प्रेम कहानी की तरह इसका भी यूँ ही अंत हो जाएगा । प्रेम की मंज़िल के करीब आकर यूँ जुदाई और बिछड़के केवल एक गुज़रा हुआ अतीत रह जाएगा ।

प्रियंका का आँखें निस्तेज हो चली थी । रह रह कर उसके कानों में वो शब्द गूँज रहे थे जो कभी अतुल ने उससे कहे थे । हर एक पल उसके साथ बिताये लम्हे उसे बार बार कचोट रहे थे ।

“क्यों ? आखिर क्यों ?” इसी सवाल का जवाब उसे नहीं मिल पा रहा था ।

क्यों उसे अँधेरे में रखा? क्यों नहीं सच बोल दिया? क्यों नहीं उसे बताया की उसके जीवन में अब कोई और आ चुका है ? क्यों नहीं उससे कह दिया की अब मन भर गया है तुमसे ? क्यों छुपाया सब कुछ, ये जानते हुए भी की अब सब कुछ खत्म हो चुका है ? क्यों प्यार का झूठा नाटक किया ?

प्रियंका के मन में लाखों सवाल थे, उसकी बेवफाई को लेके , उसके इश्क़ निभाने के जज़्बे को लेके, उसके कभी न दिल तोड़ने के वादे को लेकर । पर उससे कही ज्यादा उसे दुःख था, अपने सच्चे प्रेम की रुग्णावस्था को देख कर । शायद अतुल कभी उसके प्रेम करने के तरीके को समझ ही नहीं पाया । शायद वो कुछ और ढूंढ़ रहा था जो उसे वो नहीं दे सकी। एक बार कह कर तो देखता, दुनिया जहाँ उसके कदमों में न लाकर रख देती तो कहता । प्यार करती थी , शायद समझ भी जाती की अब तुम्हें जरुरत नहीं मेरी ।

मुझे अपनी आदत लगा कर, क्यों मुझे इस कदर बेबस कर दिया तुमने। क्यों मेरे दिल में अपने लिए प्यार का गीत जगा कर बिना सुने छोड़ दिया तुमने, क्यों मुझसे हाँ बुलवा कर बीच रास्ते में दामन ये छोड़ दिया तुमने । मन बार बार सवाल पूछ रहा था । उत्तर नहीं थे । तुम्हारा वर्षों का प्रेम नदारद था, महज़ एक स्वपन था, आडम्बर था तुम्हारा, खोखला था तुम्हारी ही तरह । मुझे जिस चीज़ का डर सताया करता था तुमने वो ही किया ।

सिर्फ इतनी सी गुज़ारिश थी तुमसे एक बार कहकर देखते, तुमसे क्या इस दुनिया से अलग हो जाती मैं, सिर्फ इतनी सी सिफारिश थी तुमसे कि निभा पाते तो ही इस जिस्म को अपनाते, इस दिल को अपनाते सिर्फ अपने खेलने का खिलौना न बनाते मुझे ।

प्रियंका ने फ़ोन पर आये अतुल और वागीशा के छायाचित्र देखे ।काले सूट में अतुल और गुलाबी रंग में वागीशा के हँसते खिलखिलाते चेहरों को देखकर उससे रहा नहीं गया । अपने गले में प्रियंका ने दुपट्टा बांधा और हमेशा के लिए निद्रामग्न हो गयी ।

Author: Onesha

She is the funny one! Has flair for drama, loves to write when happy! You might hate her first story, but maybe you’ll like the next. She is the master of words, but believes actions speak louder than words. 1sha Rastogi, founder of 1shablog.com.

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