नया मोड़

बारिश की वो शाम याद है तुम्हें ? पहली मुलाक़ात वाली ! कितनी अलग थी तुम मुझसे और मैं तुमसे। तुम्हे चीज़ें सहेजने की आदत थी, मुझे उन्हें बेपरवाह बिखेर देने का शौक़। पर अचानक से एक पल को, जो तुम्हारे चेहरे को इत्मीनान से देखा, तो मन किया की आँखों में तुम्हारा ये मुस्कुराता चेहरा ताउम्र सहेज लूँ। मैं बदलने लगा था।

मुझे कविताएं, लेख, शायरी नहीं आती थी। शायर तो पागल लगते थे मुझे, पर तुम्हें शायरों के अलावा बाकी सारी दुनिया ही पागल लगती थी। पर तुमसे बातें करते हुए, मैं जो कुछ भी कहता था, तुम्हारे साथ खड़े होकर जो कुछ भी देखता था, और तुम्हारी बातों को जितना भी सुनता था, सुनता ही रहता था और सुनकर जो कुछ भी महसूस करता था, वो सब का सब कुछ, अपने आप ही शायरी बन जाता था। मैं बदलने लगा था।

कभी कहीं जाकर ये आस्मां कितना हसीन है ये सोचा ही नहीं था मैंने, डूबता हुआ सूरज देखकर तुम्हारे बारे में सोचने लगता हूँ। आजकल खुद से बेखबर हो चला हूँ। तुम्हे याद करके होठों पर न जाने कैसे अपने आप ही मुस्कान आने लगी है । तारों को सजा देखकर तुम्हारी यादें संजोने लगा था। अपनी आँखों में ही नज़ारे कैद कर लेने वाला मैं अब फोटो लेने लगा था। अब बेवज़ह मैं मुस्कुराने भी लगा था। मैं बदलने लगा था।

हाथ थामने से डरता था मैं। तुमने पता नहीं कैसे, फिर भी, आकर मेरा हाथ थाम ही लिया। गाड़ी में बगल में बैठकर तुमने हमें डिजायर में फेरारी वाला फील दे दिया। हमारे साथ सारा शहर चलता था। तुम्हे देख कर मुस्कुराना और बस मुस्कुराते ही जाना। ये अलग ही आदत लगने लगी थी। दुनिया के सामने दुनियादारी भूल जाना। अब ये सब भी करने लगा था। मैं बदलने लगा था।

जो इश्क़ करने से डरता था, वो ही अब इश्क़ में पड़ने लगा था। मैं तुम्हारे लिए अब बदलने लगा था।

Author: Onesha

She is the funny one! Has flair for drama, loves to write when happy! You might hate her first story, but maybe you’ll like the next. She is the master of words, but believes actions speak louder than words. 1sha Rastogi, founder of 1shablog.com.

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