ख़ामोशी

तुम्हे आरव के साथ देख कर, मैंने अपनी नज़रें फेर ली। तुम्हे उसका होते हुए देख पाना मुश्किल था मेरे लिए । शायद तुम्हे चाहने लगा था, पर तुम किसी और की थी। पर मैं जानता था, तुम्हारा मन आरव के साथ नहीं था, दिल में तो शायद कोई और ही था तुम्हारे।

आरव तुम्हारा हाथ थामे, तुम्हे सबसे मिलवा रहा था। तुमने भी अपने दूसरे हाथ से उसकी बाहें थामी हुई थी, चेहरे पर नकली मुस्कान ओढ़े तुम सब से मिल रही थी।

एक पल के लिए फिर से देखा तुम्हारी ओर, क्या करता मैं आखिर? जी भरता ही नहीं था तुमसे।तुम्हारी भीड़ में ओझल होती आँखें, तुम्हारे सुन्दर होठों की वो मुस्कराहट। एकटक निहारता ही रहा तुम्हे । आरव की तरफ देखते हुए जब तुम वो प्यार का दिखावा करती थी, तो जैसे सब समझ जाते थे, प्यार नहीं साजिश है ये।

तुम्हारी खातिर चुप था। जानता था खुश नहीं हो तुम, पर जब तक बोलोगी नहीं, तुम्हे खुद से कोई नहीं बचा सकता, तुम्हारा ये मोह भी नहीं, मैं खुद भी नहीं। पलाश तुम्हारा था, तुम्हारा है और तुम्हारा रहेगा। ये जान निसार है तुझपर, कहना भी मत एक दफा, बस एक बार नज़रें उठाकर देख लेना, तुम्हे संसार की वो हसीन खुशी दूँगा जो दुनिया का कोई आरव नहीं दे सकता।

ये कैसी विडंबना है जग की, प्यार उसे मिलता है, जो कदर नहीं करता, जो मरता है किसी पर है वो बेपनाह इश्क़ कर बैठता है, दुनिया की सब रंजिशों से परे, बेहद गहरी मुहब्बत उसे ही होती जिसे कभी अपनी मंज़िल नहीं मिलती।

क्या प्यार की भी कोई मंज़िल होती है ? शायद नहीं, प्यार पा लेने के बाद तो… मंज़िल पा लेने के बाद तो… सब खत्म हो जाता है, तो फिर प्यार की मंज़िल क्या है, क्या वो एहसास है जब नज़र मिलती है, क्या वो चर्म सुख है, क्या वो कभी न मिल सकने वाला दिलदार है, क्या है वो? क्या प्यार महज़ एक सफर मात्र है? इस सफर में कोई अकेला, कोई साथी संग भी अकेला, क्यों होता है ऐसा? दो लोग आपस में सम्पूर्ण क्यों नहीं होते ? प्यार ऐसा कठिन की निभ न पाए , और इतना सरल सब से हो जाये। कोई धड़कनों से बिना बोले हलचल कर जाये, कोई कोशिशों के बाद भी इन दिल की गलियों में कदम न रख पाए ?

क्या है इस प्रीत की रीत ? शायद तुम्ही हो। तुम ! पर क्या ये सिर्फ तुम तक ही सीमित है ? बस तुम्हे देख कर, तुम्हारे संग कुछ पल बिताकर, तुम्हारे साये में, तुम्हे इन नज़रों से ही छू लेने की चाहत मन में बसाये, तुम्हारे प्रेम सागर में डूब कर, मेरे प्यार की कश्ती तैर रही थी। होना भी तुम्ही से था , क्यों ? ये मेरे मन में , तुम्हारे प्रति इतनी संवेदनाएं, आखिर कैसे पनप गयी ?

प्यार में मंज़िल होती ही नहीं है, वो मुहब्बत भी कैसी मुहब्बत जिसमे दिल न टूटे, वो कैसा प्यार जो नसीब हो जाये, वो कैसा इश्क़ जो क़ुबूल हो जाये , वो कैसा प्रेम जो मुकम्मल हो जाये।

तुम मेरी बाहों में होती तो शायद इतना इश्क़ तुमसे मैं कभी नहीं कर पाता या शायद अभी जितना करता हूँ, उससे ज्यादा कर जाता। पर उसके लिए तुम्हारा बाहों में आना ज़रूरी है, मुझे चुनना ज़रूरी है।

क्या सिर्फ परवान चढ़ जाना , किसी को अपना मान लेना, साथ सफर की ओर बढ़ना ही इश्क़ है ? क्या तुम और आरव ही इश्क़ की परिभाषा हो ?

एक घूँट और पी गया , तुम्हे उसका होते देख , सभा में सभी मेरी ख़ामोशी पढ़ रहे थे। प्यार करने वाले दिख ही जाते हैं सबको, सिवाय एक उस इंसान को छोड़ कर जिसे वो दिखाने की चाहत रखता है, शायद ये भी कोई रिवाज़ होगा खुदा का श्रापित।

तुमने मुझे देखा, हमारी नज़रें फिर से मिली, तुम्हारी नकली मुस्कान में मैंने पहली बार इन चंद घंटों बाद कुछ अलग देखा, शायद मुझसे गुज़ारिश कर रही थी तुम।

चला गया वहाँ से मैं, तुम से बिना मिले, बिना जुड़े, बिना कहे, बिना सुने कुछ भी, हमेशा के लिए तुम्हे अपने सीने में कहीं बसा कर। दिल में लाखों सवाल लिए, जिनका जवाब न तुम्हारे पास था, न मेरे पास, दुनिया की किसी ताकत के पास इस सवाल का उत्तर नहीं था की प्यार की मंज़िल क्या होती है ? होती भी है या नहीं ? मंज़िल पा लेने के बाद क्या होता है ? क्या प्रेमी ही मंज़िल है या उस के संग होने का सफरनामा ही इस प्रेम का आखिरी पड़ाव है ? क्या अंत है इस एहसास का ? क्या वो खुशी है या जीत उसको पा जाने की, या कोई दुआ है जो किस्मत बदल दे, या ऐसी हार जिसमे हो उसकी जीत, उसकी खुशी ? कैसे प्यार की परिभाषा हर एक दिल में अलग है। हर मायने अलग है फिर भी प्यार है, जूनून है, फितूर है, पागलपन है, दीवानापन है, दर्द है , ख्वाहिशें हैं, तड़प है , सब कुछ मुमकिन है और सबकुछ बिखरा है, सब संबल है और सब गुनाह, सज़ा है और रजा भी है बर्बाद हो जाने की, टूट जाने की, तबाह हो जाने की, सदाबहार है और गहरा अँधेरा, ख़ामोशी है। तुम हो और बस मेरी तन्हाई । यही प्यार है।

Author: Onesha

She is the funny one! Has flair for drama, loves to write when happy! You might hate her first story, but maybe you’ll like the next. She is the master of words, but believes actions speak louder than words. 1sha Rastogi, founder of 1shablog.com.

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